स्वस्थ्य रहना है, तो पोस्चर ठीक रखिए...
उम्र के साथ शरीर को घेरते बुढ़ापे जैसे लक्षणों को दवाईया भोजन से नहीं रोका जा सकता | इसे खड़े रहने,बैठने एवं चलने के लिए सही ज्ञान से भी रोका जा सकता है |
हमारे खड़े रहने, बैठने एवं चलने का तरीका हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है | हमारा शारीर सैकड़ो जोड़ो से मिलकर बना है | यदि एक जोड़ में भी कोई समस्या या विकृति आती है,तो उसे पुरे शरीर को भुगतना पड़ता है | इस जोड़ो से होकर कई नसें, लिगामेंट एवं तंत्रिकाएं निकलती है | यदि जोड़ो में कोई समस्या अति है, तो वह सम्बंधित नसों, लिगामेंट एवं तंत्रिकाओं पर प्रभाव डालती है और फिर व्यक्ति असहनीय पीडाओं से ग्रसित हो जाता है | आइए, जानते है किस तरह हम अपने जोड़ो को उम्र भर निरोगी रख सकते है |
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Wrong Posture Right Posture |
हमारे खड़े रहने, बैठने एवं चलने का तरीका हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है | हमारा शारीर सैकड़ो जोड़ो से मिलकर बना है | यदि एक जोड़ में भी कोई समस्या या विकृति आती है,तो उसे पुरे शरीर को भुगतना पड़ता है | इस जोड़ो से होकर कई नसें, लिगामेंट एवं तंत्रिकाएं निकलती है | यदि जोड़ो में कोई समस्या अति है, तो वह सम्बंधित नसों, लिगामेंट एवं तंत्रिकाओं पर प्रभाव डालती है और फिर व्यक्ति असहनीय पीडाओं से ग्रसित हो जाता है | आइए, जानते है किस तरह हम अपने जोड़ो को उम्र भर निरोगी रख सकते है |
तालमेल रखना जरुरी
सही पोश्चर का तात्पर्य शरीर के अंगो एवं जोड़ो को सही स्थिति एवं साम्य में रखने से है | इसमें बैठना,खड़े रहना,सोना,चलना शामिल है | प्रकृति ने हमारे जोड़ एवं अंगो को एक विशेष स्थिति एवं साम्य में बनाया है | हमारे जोड़ जो कि हमें गति, मुड़ने एवं हिलने-डुलने में मदद करते है तथा साथ ही इसके पास से होकर कई तंत्रिकाएं, रक्तवाहिकाएं तथा मांसपेशिया गुजरती है, यदि हम गलत पोस्चर में बैठेंगे, तो उन पर विपरीत एवं हनिकारक प्रभाव पड़ता है |
क्यों होता है नुकसान ?
एक जगह बैठने, गैजेट्स से चिपके रहने के कारण भी पोस्चर बिगड़ जाता है | चिकित्सकों के पास आने वाले लघभग 25 प्रतिशत रोगी गलत पोस्चर की वजह से पाई बीमारी लेकर आते है | कंप्यूटर एवं मोटरसाइकिल के जरुरत से ज्यादा प्रयोग से हमारे कई अंगो पर गलत प्रभाव डाला है, लेकिन इन सभी अंगो में सबसे ज्यादा जो अंग प्रभावित हुआ है,वह है हमारी रीढ़ की हड्डी | रीढ़ के दो काम है, एक शरीर को सीधा खड़ा रखना और मोड़ना तथा दूसरा कार्य है मस्तिष्क से निकलने वाली स्पाइनल कोर्ड (मेरुदण्ड) को सुरक्षा प्रदान करना | लेकिन गलत पोस्चर के कारण दोनों ही प्रभावित हो रहे है | यदि रीढ़ की संरचना ठीक रही और उसकी डिस्क के बीच का अंतर सही रहा, तो तंत्रिकाएं ठीक से कार्य करेंगी और यदि इसके विपरीत होता है, तो तंत्रिकाएं अपना कार्य सही तौर से नहीं कर पाएंगी |
सही मुद्रा क्या हो ?
यह भ्रान्ति की खड़े रहने का सही तरीका वह है जैसे एक आर्मी अफसर का होता हिया, तन कर सीधे खड़े रहना | वास्तव में खड़े रहने का सही तरीका वह है जिसमे में शरीर संतुलित हो ठाठ उसका पूरा भार दोनों पैरो पर बराबर पड़े |
क्या ध्यान रखें...
- कंधो को झुककर नहीं, तन कर खड़े रहे |
- उंची हील के जुते न पहने | इससे आपके कुल्हे का संतुलन बिगड़ जाता है तथा वह आपके घुटने, एंकल जॉइंट एवं एड़ी के लिए हानिकारक होते है |
- कोई भी सामान आगे झुककर न उठाएं | नीचे बैठकर फिर उसे उठाएं |
- पैरो को सीधा रखकर खड़े हो क्योंकि पैरो को बहार की तरफ निकालकर खड़े होने से घुटनों को क्षति पहुंचती है और हिप जॉइंट भी आहत हो सकता है |
- हमेशा एक सीधी रेखा में खड़े रहे, न झुककर, न ढीले-ढाले खड़े रहे |
- यदि हम झुककर खड़े होते है या बैठते है, तो हमारी छाती और पेट के महत्वपूर्ण अंगो को पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती | जिसके कारण वह अपना कार्य ठीक ढंग से नहीं कर पाते और शरीर धीरे-धीरे रोगी होने लगता है |
- खड़े होते समय सर, गर्दन, रीढ़ , कुल्हे एवं ओईर एक सीधी लाइन में हो |
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स्वस्थ्य रहना है, तो पोस्चर ठीक रखिए...
Reviewed by Deepak Gawariya
on
August 14, 2017
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