चेतना का उत्सव नवरात्र


मां शक्ति हैं,  समृद्धि  है, स्थिरता है, असंख्य गुणों का केंद्र है...

ये नौ दिन ममता और ऊर्जा की आराधना का पर्व है | यह भक्ति, ऊर्जा और चेतना का त्यौहार है...

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शारदीय नवरात्र के नौ दिन आस्था और भक्ति के साथ ही साधना का अवसर भी लेकर आते है | माँ के नौ रूपों की इन दिनों आराधना होती है | माँ के नौ रूपों की अपनी विशेषता होती है और उनसे जुड़े गुणों का सन्देश भी |  
आइए, माँ की प्रेरणा से अपने जीवन में संवर्धन करे | 

शैलपुत्री से सीखे स्थिरता 

 नवरात्री के प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री की आराधना की जाती है | जीवन में अस्थिर लोगो को माता की आराधना करनी चाहिए | इससे जीवन में द्रढ़ता आती है |

ब्रह्मचारिणी से शांति की सीख

जो खुद पर ध्याननहीं दे पा रहे है, जिन्हें कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है, वे माँ ब्रह्मचारिणी का पूजन करे | माँ से स्वाभाव में शालीनता सिख सकते है |

चंद्रघंटा से सीखे समर्पण 

चंद्रघंटा देवी का स्वाभाव व्यक्ति के सतोगुण को बढाने वाला है | अपने साथ दुसरो के लिए जीना, जीवन में समर्पण का गुण मां से सिख सकते हैं |

कुष्मांडा से सीखे क्रोध पर नियंत्रण


उग्र स्वभाव वाली कुष्मांडा देवी क्रोध पर नियंत्रण करना सिखाती है | हर काम के शुभारम्भ के लिए मां का पूजन किया जाता है |

स्कन्दमाता से सीखे दानप्रवृति 


जरुरतमंदो की समय पर मदद करना माँ स्कंदमाता से सीखें | माता की भक्ति से जीवन में समृधि आती है |

कात्यायनी सिखाती है सामंजस्य

जीवन में सामंजस्य का महत्व कात्यायनी से सीख सकते है | पारिवारिक क्लेश हो रहा है अथवा विवाह में विलम्ब हो रहा है, तो माँ की अर्चना करे |


कालरात्रि से सीखे सेवाभाव 

माँ कालरात्रि  से निःस्वार्थ भाव से मदद करने की सिख मिलती है | एकांकी महसूस करने वाले लोग कालरात्रि का पूजन करे | 

महागौरी सिखाती है कर्मशीलता 

माँ महागौरी से कर्मप्रधानता सीख सकते है | आसानी से प्रसन्न होनी वाली गौरी कर्मशील होने वाले लोगो को हमेशा समय से  पहले फल देती है |

सिद्धिदात्री  से सीखे खुशमिजाजी 

तनाव में दुखी रहने वालो की माता सिद्धिदात्री की आराधना करनी चाहिए | यह अष्टसिद्धिया, नवनिधिया देने वाली है |


 जीवन के रहस्य का उत्सव है नवरात्री 

जीवन की तरह ही रहस्यमय है नवरात्री | इसको मनाने का सबसे अच्छा तरीका यही है की इसे जीवन की तरह मनाया जाये |

भारत इकलौती एक संस्कृति है जिसने  स्त्री शक्ति की पूजा को जारी रखा है | इसी संस्कृति ने हमें अपनी जरूरतों के मुताबिक अपनी देवियाँ खुद गढ़ने की आजादी भी दी है | प्राण प्रतिष्ठा के विज्ञान  में हर गावं को अपनी विशिष्ठ स्थानीय जरूरतों के अनुसार अपना मंदिर बनाने में समर्थ बनाया है | दक्षिण भारत के हर गावंमें हमको अम्मन(अम्मा) या देवी के मंदिर मिलेंगे |

तर्क ही तो सब नहीं है 
आजकल पुरुष शक्ति समाज में सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण हो गई है क्योकि हमने अपने जीवन में गुजर-बसर की प्रक्रिया को सबसे अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है | सौन्दर्य या नृत्य-संगीत, प्रेम,दिव्यता या ध्यान की बजाय अर्थशास्त्र हमारे जीवन की प्रेरक शक्ति बन गया है |

स्त्री ने पुरुष को शक्ति मान लिया क्योकि जीवन पर अर्थ हावी हो गया है | स्त्री ही शक्ति है | उसकी अपेक्षा ने समाज को मुश्किलों में डाला है | जीवन की पोषणकारी प्रवृतियों को बचाए रखने के लिए स्त्री शक्ति को पहचानना आवश्यक है |

जबअर्थशास्त्र हावी हो जाता है और जीवन के गूढ़ तथा शुक्ष्म पहलुओं को अनदेखा कर दिया जाता है | ऐसे में पौरुष को कुदरती तौर पर प्रभावी होना ही था | ऐसी दुनिया में स्त्री शक्ति की अधीनता भी स्वाभाविक थी | इससे भी बड़ा संकट यह है की बहुत सी स्त्रियों को लगता है की उन्हें पुरुष की तरह बनना चाहिए | क्योकि वे पौरुष को शक्ति का प्रतिक मानती है | जबकि शक्ति तो वे स्वयं है | अगर स्त्री शक्ति नष्ट हो गई, तो जीवन की सभी सुन्दर,सौम्य, सहज और पोषणकारी प्रवृतिया लुप्त हो जाएगी  | जीवन की अग्नि हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी |

आधुनिक शिक्षा एक दुर्भाग्यपूर्ण नतीजा यह है की हम अपनी तर्कशक्ति पर खरा न उतरने वाली हर चीजो को नष्ट कर देना चाहते है | पुरुष-प्रधान हो जाने के कारण इस देश में भी देवी पूजा बड़े पैमाने पर गोपनीय तरीके से की जाती है | अधिकांश देवी मंदिरों में मुख्य पूजा बस कुछ ही पुजारियों द्वारा की जाती है मगर इसकी जड इतनी गहरी है की इसे पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता |

नवरात्रि का उत्सव 

नवरात्री का उत्सव इश्वर के स्त्री रूप को समर्पित है | दुर्गा,लक्ष्मी,सरस्वती स्त्री-शक्ति यानी स्त्रेण के तीन आयामों के प्रतिक है | वे धरती, सूर्य,चन्द्रमा या तमस(जड़ता),रजस(सक्रियता,जोश) और सत्व (परे जाना, ज्ञान, शुद्धता) के प्रतिक है |
नवरात्री मानाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है- इसे उत्सव की भावना के साथ मनाया जाना चाहिए |  जीवन का रहस्य यही है- गंभीर ण होते हुए भी पूरी तरह शामिल होना | 
अगर आपको सरस्वती को अपने भीतर उतारना है, तो आपको प्रयास करना होगा | वरना आप उन तक नहीं पहुँच सकते |
पारम्परिक रूप से देवी पूजा करने वाली संस्कृतिया जानती थी की अस्तित्व में बहुत कुछ एसा है जिसे कभी समझा नहीं जा सकता | आप उसका आनंद उठा सकते है, उसकी सुन्दरता है उत्सव मन सकते है, मगर कभी उसे समझ नहीं सकते है | जीवन एक रहस्य है और हमेशा रहेगा | नवरात्री का उत्सव इसी  मूलभुत ज्ञान पर आधारित है |

नौ दिन नौ उपाय 

नवरात्र में माँ के अलग-अलग रूपो की आराधना और माँ को प्रसन्न करने के लिए करे ये उपाय...

प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री 

इस दिन मंदिर में त्रिशूल भेंट करना चाहिए |


द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी 

देवी को कमल का पुष्प अर्पित करना चाहिए |

तृतीय दिवस चंद्रघंटा 


शक्ति के इस रूप को प्रसन्न करने के लिए चांदी का चंद्रमा मंदिर में भेंट करे,दूध की बनी सामग्री का भोग लगाये |

चतुर्थ दिवस कुष्मांडा

कुष्मांडा देवी को प्रसन्न करने के लिए आठ वर्ष की कन्या को भोजन करना चाहिए | मंदिर में कलश भी रखें |

पंचम दिवस स्कंदमाता 

माता को प्रसन्न करने के लिए पुस्तकों का दान करे साथ ही धार्मिक किताबो का पूजन भी करना चाहिए | 

षष्टम दिवस कात्यायनी 

माँ कात्यायनी के लिए तुलसी के निचे सरसों के तेल का दीपक लगाये | 

सप्तम वार कालरात्रि

सत्य बोलने वालो से कालरात्रि प्रसन्न रहती है | अन्य उपाय में गुड के गुलगुले बनाये | कन्याओ को भोजन करना चाहिए | 

अष्टम वार महागौरी 

सौम्य स्वाभाव की देवी महागौरी उपासना से बहुत जल्दी प्रसन्न होती है | इस दिन महागौरी का गंगाजल से स्नान करना चाहिए | 

नवम दिवस सिद्धिदात्री 

माँ सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए | इस दिन कन्याभोजन से भी विशेष फल मिलता है | 

ये भी है दिव्य रूप ...

पड़ोसी देशो समेत भारत में देवी की 51 शक्तिपीठ है, हजारो मंदिर भी है | कई मंदिर बहुत प्रसिद्द है, जहा लाखो दर्शनार्थी पहुँचते है | दूसरी तरफ, कई देवी मंदिरों के बारे में लोगो ने सुना तो  है, पर वे उनके इतिहास, परंपरा और स्थापत्य कला के बारे में कम ही जानते है |
हम आपको ऐसे ही मंदिरों के बारे में  संक्षिप्त जानकारी दे रहे है...

दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता 

 
दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता

        दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता

धनि जमीदार परिवार के ब्याही,रानी रासमणि ने 1847 इस मंदिर का निर्माण शुरू करवाया था, जो 1955 में पूर्ण हुआ | कहा जाता है कि उन्हें स्वप्न में माँ काली ने इस सम्बन्ध में आदेश दिए थे | जनविश्वास यह भी है कि पुजारी और स्वामी विवेकानंद के गुरु, रामकृष्ण परमहंस को माँ काली साक्षात् दर्शन देती थी | हुगली के तट पर बेलूर मत के दूसरी तरफ स्थित यह मंदिर 25 एकड़ क्षेत्र में फैला है | मंदिर के मुख्या भाग  में काली की  प्रतिमा शिव के ऊपर कड़ी अवस्था में विराजित है | मंदिर के बगल में परमहंस का कक्ष है, जहा उनसे जुड़े स्मृतिचिन्ह संजोये गए है | प्रांगण में शिव के 12 मंदिरों सहित माँ शारदा (परमहंस की धर्मपत्नी) और रानी रासमणि की समाधिया है |

करणी माता मंदिर, देशनोक 

करणी माता मंदिर, देशनोक

            करणी माता मंदिर, देशनोक

राजस्थान में करनी माता मंदिर उदयपुर और अलवर में भी है, लेकिन सबसे ज्यादा ख्याति है बीकानेर जिले के देशनोक की जहा करीब 20 हजार चूहों का निवास है | एक कथा के अनुसार ये करणीमाता के पुत्र है | जबकि कुछ लोकगीत कहते है की ये देशनोक पर आक्रमण करने वाले शत्रु सैनिक है, जिन्हें माता ने चूहे बना दिया था | जो भी हो, इस मंदिर में चूहों को सम्माननीय दर्जा प्राप्त है | भक्त चूहों द्वारा झूठा किया गया प्रसाद ग्रहण करते है | करणीमाता का जन्म 1387 में एक चारण परिवार में रिघुबाई के रूप में हुआ था | बाद में उन्होंने वैवाहिक जीवन से विरक्त होकर स्वयं को भक्ति में लीन कर लिया था | उन्हें साक्षात् जगदम्बा का अवतार मानते है | और देवी रूप में पूजते है |  

 श्री चामुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर 

श्री चामुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर

               श्री चामुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर

मैसूर से 13 किमी दूर, चामुंडी पहाडियों पर है चामुंडेश्वरी मंदिर | दक्षिण  में इसे क्रौंचा पीठम भी कहा जाता है | 12वी सदी में रजा विष्णुवर्धन ने मूल मंदिर का निर्माण करवाया था | वर्तमान में 40 मीटर ऊँचे, द्रविड़ शैली में निर्मित इस 7 मंजिला मंदिर में शुद्ध सोने की देवी प्रतिमा स्थापित है | चामुंडेश्वरी मैसूर राज की अधिष्ठात्री देवी है | और उन्हें वास्तविक शासक कहा जाता है | दशहरे पर नगर भ्रमण पर पालकी में राजा की जगह चामुंडेश्वरी देवी प्रतिमा की अनुकृति राखी जाती है | मंदिर के मुख्या द्वार पर गणेश जी विद्यमान है | जबकि मंदिर के समीप महीषासुर की विशाल प्रतिमा निर्मित की गई है | मुख्य मंदिर के पीछे महाबलेश्वर को समर्पित एक हजार वर्ष से भी पुराना एक छोटा मंदिर है |

देवीपाटन मंदिर, बलरामपुर 

देवीपाटन मंदिर, बलरामपुर

             देवीपाटन मंदिर, बलरामपुर

उत्तरप्रदेश, बलरामपुर के पाटन गाव में है देवी पाटेश्वरी का मंदिर | यहाँ देवी सती का बायाँ कन्धा गिरा था, इसलिए यह एक शक्तिपीठ भी है | मंदिर के मुख्य अंत:कक्ष में कोई मूर्ति नहीं है | वरन एक गोल चबूतरा है, जिसपर कपडा ढाका रहता है | मान्यता है की यही सीताजी धरती में समाई थी |
 

सावधानी से न करें समझौता 

 

त्यौहार में सुरक्षा पहली प्राथमिकता होना चाहिए,छोटी-छोटी चीजे भी महत्व रखती है |

नवरात्र में गरबा का आनंद अवश्य उठाए, लेकिन युवतियों को इस दौरान ज्यादा सावधानी रखने की जरुरत है | इस मौके पर पंडाल में दर्शन करने वालो के लिए भी अपनी सुरक्षा के लिए सहज रहना चाहिए | 

हर छोटी बात का ध्यान रखें 

नवरात्र ही सालभर में एक ऐसा त्यौहार है जिसका इन्तजार युवा पीढ़ी  आतुरता से करती है | त्यौहार के मौके पर छोटी-छोटी बातो का ध्यान रखना भी जरुरी है | सामान,गहने की  सुरक्षा के साथ अपनी सुरक्षा के साथ अपनी सुरक्षा के लिए भी सतर्क रहे | हादसा किसी के साथ भी हो सकता है | इसलिए लापरवाही न करे |

घरवालो को हो पूरी जानकारी 

गरबा खेलने के लिए मित्रो के साथ जा रहे हो अथवा गरबा देखने |  घरवालो को इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए | किसके साथ गरबा खेलने जा रहे है, यह बताने के साथ-साथ किस जगह जा रहे है और वापस आने में कितना समय लगेगा यह भी बता दें | इतनी जानकारी यदि घर में होगी, तो किसी को आप कब वापस आएंगी इस बात की चिंता नहीं रहेगी | इसी के साथ यदि संभव हो तो जिनके साथ आप जा रहे हो उनकी मुलाकात घरवालों से करवा दें |

गरबा मैदान पहले देख लें 

ग्रुप के साथ गरबा खेलने जा रहे हो अथवा अकेले | गरबा स्थल कैसा है, इसका मुआयना पहले से कर ले  | कई बार एसा होता है कि युवतियां खेलने के उत्साह में वह कितना दूर है इस बात का ज्यादा ध्यान नहीं देती और फिर जब वहा जाती है तो पता चलता है कि वहा आसपास के लोग कैसे है अथवा वहा जाने का रास्ता कैसा है | किसी प्रकार का जोखिम लेना उचित नहीं | अगर रात को आने में ज्यादा देर हो और भले ही आप ग्रुप में साथ गए हो, फिर भी यदि कोई अंजान व्यक्ति आपको घर छोड़ने के लिए कहे, तो स्पस्ट मना  करने में हिचकिचाएं नहीं | अपनी तरफ से घर जाने की व्यवस्था पहले से कर सके तो बेहतर है | अथवा आपको लगे तो आपके घर से किसी सदस्य को बुला लें |  

नए मित्र बनाने में ध्यान रखें

गरबा खेलने के साथ-साथ आम दिनों में भी इस बात का ख्याल रखना जरुरी है | कई बार अनजान युवक-युवतियों के साथ पहचान और मैत्री हो जाती है और ऐसा होना स्वाभाविक भी है | ऐसे में जिनके साथ नई-नई  पहचान हुई हो उनके साथ अवश्य गरबा खेले किन्तु साथ ही सावधानी भी रखें | पहली बात में ही अपनी हर बात किसी से भी साझा न करें | 

 Thank you for visiting keep visiting . कृपया अपनी प्रतिक्रियाएं Comment में जरुर व्यक्त करे |
चेतना का उत्सव नवरात्र चेतना का उत्सव नवरात्र Reviewed by Deepak Gawariya on September 21, 2017 Rating: 5

1 comment:

  1. शब्द नहीं धन्यवाद कहने के लिए । वाकई में बहुत ही लाजवाब कार्य हैं। तारीफे काबिल.....

    राकेश गवारिया
    +965-55854559
    सागवाडा डूंगरपुर राजस्थान

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