...ताकि हष्टपुष्ट शिशु जन्मे


नौ  महीने से पहले पैदा होने वाली यानी  Pr-mature बच्चों का वजन औसत से कम होना सामान्य हैं | कम वजनी बच्चों के साथ कई शारीरिक समस्याएं जुडी हैं | आखिर क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे मामले ? क्या ध्यान रखें गर्भवती माताएं ताकि शिशु का वजन ठीक रहे, जानिए...  


भारत में स्वस्थ्य नवजात बच्चों का औसत दो से तीन किलो यानी चार पौंड से लेकर छह पौंड तक होता है | लोकिन मौजूदा दौर में गर्भवती माताओं की जीवनशैली और खानपान में आए बदलाव  का असर नवजात बच्चों पर भी पड़ रहा है | जिन मामलों में पूर्ण विकसित होने से पहले अगर बच्चे का जन्म हो जाता है, उन बच्चों को कई चुनौतियों का सामन करना पड़ता है | गर्भावस्था के दौरान अनुशासन ओर खानपान का ध्यान रखकर इस स्थिति से बचा जा सकता है |



 

 

जीवनशैली है बड़ा कारण


बच्चों के समय से पहले जन्म या कम वजनी होने के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं | इसमें माँ  का गर्भावथा के दौरान हाइपरटेंशन से ग्रसित होना, गर्भावथा की डायबिटीज ( जस्टेशनल डायबिटीज ) से ग्रसित होना, बार- बार माँ बनाना,  लंबे समय तक खड़े रहकर काम करने की मज़बूरी या लम्बे समय तक बैठकर काम करने के कारण भी ऐसा होता है | कई बार अधिक उम्र में गर्भधारण के कारण प्लेसेंटा की कार्यक्षमता में भी कमी आ जाती है इसलिए भी ऐसा होता है | आइविएफ़ ट्रीटमेंट में पूरी सावधानी न बरती जाए, तो भी ऐसा हो सकता है | गर्भावस्था में अल्कोहल और धुम्रपान करना भी एक कारण है | बच्चे पर माँ की जीवनशैली का असर गर्भावस्था के शुरू के तीन महीने और आखिर  में ज्यादा पड़ता है | इसलिए इस दौरान ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत है |

 


नियमित चेकअप करवाएं


बच्चे का सही विकास हो रहा है या नहीं इसका पता लगाने की चिकित्सक की सलाह पर हर 2-3 सप्ताह में परिक्षण यह करना जरुरी है माँ का वजन सही अनुपात में बढ़ रहा है या नहीं, रक्तचाप सामान्य है और रक्त में शुगर की मात्रा नियंत्रित है | इसके आलावा  अल्ट्रासाउंड के माध्यम से स्कैन करके पता  चलता है कि बच्चे का आंतरिक विकास ठीक तरह से हो रहा है की नहीं | 28 हफ्ते तक भारतीयों में बच्चे का वजन एक किलो होना चाहिए | 34 वें हफ्ते में 2 किलो होना चाहिए | अल्ट्रासाउंड से पता चल जाता है की बच्चे में प्रीटर्म बर्थ की रिस्क है या नहीं | बच्चे तक बारबार मात्रा मे फ्लूड पंहुच रहा है या नहीं, माँ की प्लेसेंटा सप्लाई कम हो रही है | प्रीटर्म जन्म में वजन कम होने के साथ नवजात बच्चे के फेफड़े परिपक्व नहीं हेते |अगर समय रहते इसका पता लग जाए तो बच्चे के फेफड़े मजबूत करने के लिए स्टेराइड का डोज भी दे सकता हैं |


पोषक आहार मिलना  जरुरी


 गर्भवती माता को अगर भरपूर आहार नहीं मिले, तो जाहिर है की बच्चे के स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ेगा | हाई प्रोटीन डाईट और पोषक तत्वों का ध्यान रखना भी जरुरी है | प्रेगनेंसी प्लान कर रहे है, तो तीन महीने पहले ही डाईट का ध्यान रखना जरुरी है | दूध, दूध से बने उत्पाद   प्रोटीन मिले, इसके अलावा नियमित व्यायाम की भी आदत डालें |आजकल कामकाजी महिलाएं बहुत देर तक काम करती हैं | ऐसे में कभी आहार तक भूल जाती हैं |बच्चे पे इसका दुष्प्रभाव पड सकता है | इससे बच्चे को कम रक्त पहुंचता है |


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क्या ध्यान रखें


गर्भवती स्त्रियों की जीवनशैली में बदलाव करने के साथ कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरुरी है | जैसे अगर किसी पार्टी, सिनेमा हाँल या सामाजिक कार्यक्रम में जा रही हैं, तो धुम्रपान वाली जगह से बचें \ जहां म्यूजिक सिस्टम की तेज आवाज हो वहां भी न रुंके | तेज ध्वनी बच्चे के लिए नुकसानदायक है हीं, माँ के लिए भी तनाव का कारण बन सकती है |अगर कामकाजी है, तो हर एक घंटे में थोड़ी चहलकदमी कर लें | हर घंटे थोडा तरल पदार्थ लेती रहें, बैठकर काम करती हैं और पैरों में सूजन आ रही है,तो पैरों के निचे कोई स्टूल रख लें | लगातार बैठी रहती हैं, तो दो-तीन घंटे में थोड़ी देर के लिए बाई करवट लेकर लेट जाएं | इससे बच्चे को रक्त अधिक मात्र में पहुंचने लगता हैं | 



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...ताकि हष्टपुष्ट शिशु जन्मे ...ताकि हष्टपुष्ट शिशु जन्मे Reviewed by Deepak Gawariya on July 16, 2017 Rating: 5

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