सबके बस का नहीं खुद पर हंसना
खुद पर हंसना आसन नहीं हैं | यह बात हर किसी में नहीं होती |
'खुद पर हंसना' ?
सुनने में अटपटा जरुर लगेगा | क्या इसका मतलब लोंगो के बिच अपने आपको हंसी का पात्र बनना या अपनी गलतियों को छिपाने के बजाय सार्वजानिक करना है | संचार विशेषज्ञों केअनुसार अपने ऊपर हँसना एक कला है | अगर आप ऐसा कर पाते है, तो विपरीत से विपरीत परिस्तिथतियों में भी निराश नहीं होंगे |
सकारात्मकता की निशानी
जो लोंग खुद पर हंस सकते है, वे आशावादी माने जाते हैं और सकारात्मक सोच रखने वाले लोंगो के सफल होने की संभावनाएं भी ज्यादा होती हैं | एक शोध के अनुसार खुद पर हँसाना मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है और परेशानियों और उलझन के वक्त मूड बेहतर करता है | इसके अलावा खुद पर हंसकर इंसान को व्यक्तित्व की कमियों का भी अहसास होता है और पता चल जाता है की वह कोन से क्षेत्र में बेहतर है ओर कोन से क्षेत्र में बेहतर होने की गुंजाइश बाकी है |
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आत्मविश्वास से भरना
अपने उपर जोक करने का मतलब अपनी छोटी-छोटी कमियों पर हंसने से है | अगर ऐसा कर पाते है, तो इसका मतलब है की उन कमियों को दूर करने के बारे में भी सोचते हैं | इस तरह आत्मविश्वास भी बढ़ता है | आत्मविश्वास से भरे लोग अधिक सफल होते हैं |
खुश रहना और खुश रखना
दूसरों पर हंसना जंहा किसी को भी दुखी कर सकता है, वही खुद पर हंसकर कम से कम दूसरों के चहरे पर तो मुस्कान लाई जा सकती है | जो लोग ऐसा सोचते है की ऐसा करने से दुसरो के सामने छवि ख़राब हो सकती है या उनके सम्मान पर कोई फर्क पड़ सकता है वे गलत हैं | ऐसा करने का साहस रखने वालों की आमतौर पर प्रशंसा करते हैं | खुद पर हँसाना दर्शाता है की आप साहसी हैं और मौलिक बने रहते हैं |
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हंसने की शुरुआत कैसे हो
1- अपने-अपने अनुभवों या किसी हरकत पर हंसने की कोशिश करें | कुछ बचकानी हरकत को याद करके ऐसा कर सकते हैं |
2- खुद को जानने की कोशिश करें | हंसकर दरअसल अपनें अंदर के असली आदमी को बाहर ला पाते हैं | इस प्रक्रिया में आपनी कमियों के जानने ओर उन्हें दूर करने का मौका भी मिलता हैं |
3- खुद की आलोचना करने के बजाय गलतियों से सीखने और आगे बढ़ने के बारे में सोंचे | गलतियों को सकारात्मक के साथ लें |
4- याद रखें, गलतियां इंसानों से ही होतीं है | इसलिए उन्हें स्वीकार करने की जरुरत है | आप जैसे है खुद को वैसे ही स्वीकार करें |
5- खुद पर हँसाना सीखकर जीवन में खुश रह पाएंगे | क्या आपने कभी सार्वजनिक जगहों पर कुछ ऐसी भूलें की हैं, जो शायद किसी को शर्म या संकोच में डाल दें पर आपने जोरदार ठहाका लगाया हो ? लेकिन शर्मिंदा होने की बजाय आप उस पर हँसे हों |
मुमकिन है हर किसी की जिंदगी में कभी न कभी ऐसा हुआ होगा | अपनी एक आदर्श छवि बनाने या दूसरो को प्रभावित करने के बारे में मत सोचिए | इसके बारे में लोंगो को निर्णय लेने दीजिए | आप तो खुद के प्रति इमानदार रहें ओए जैसे हैं वैसे ही बने रहें | हां कमियां स्वीकार करके सकारात्मक बदलाव जरुरी है | खुद की कमियां स्वीकार करना ही आत्मविश्वास की चाबी है |
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सबके बस का नहीं खुद पर हंसना
Reviewed by Deepak Gawariya
on
July 19, 2017
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